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मैथिली बाल कहानी – कौवा आ फुदकी
मैथिली किस्सा : एकटा छलि कौवा आ एकटा छल फुदकी (चिड़ैया)। दुनूक बीच भजार-सखी केर संबंध। एक बेर दुर्भिक्ष पड़ल। खेनाइक अभाव एहन भेल जे दुनू गोटे अपन-अपन बच्चाकेँ खएबाक निर्णय कएलन्हि। पहिने कोआमैथिली किस्सा – ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा’
मैथिली किस्सा: एक समयक बात अछि, कोशी नदीके किनारे एगो गुरु अपन चेला चिंतामणि के संग कुटिया बना के रहय छैलैथ। एक दिन गुरु आ चेला दुनु गोटे तीर्थयात्रा पर निकललाह। बहुत दूर चलला पर दुनू गोटे एमैथिली किस्सा – “बगिया के गाछ”
मैथिली बाल कहानी : एकटा मसोमात छलीह आ’ हुनका एकेटा बेटा छलन्हि। ओ’ छल बड्ड चुस्त-चलाक। एक दिनुका गप अछि। ओ स्त्री जे छलीह, अपना बेटाकें बगिया बना कए देलखिन्ह। ओहि बालक केँ बगिया बड्ड नीक लगै
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