मैथिली किस्सा – गोनू झाक पंचैती
मैथिली किस्सा : एक बेरक गप्प छै। गोनू झाक प्रतीक्षा करैत-करैत पंडिताइनक आंखि पाथर भ गेलनि आ ओहि पाथर भेल आंखिमें निन्द आब लग्लनि| पंडिताइन सोचैत रहलीह जे दुपहर राति भेलै मुदा आइ एखन धरि कतस छथि से नहि जानि। कहकि गेल छलाह जे आइ कोनो काज नहि अछि, तुरंन्त
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