मैथिली किस्सा : गोनू झा बड़ गूढ़ लोक छलाह। एक बेरक गप्प छै। एक राति गोनू झा घर मे सुतल छलाह। निसभेर राति मे सहसा निन्न उचटि गेलनि। देखैत छथि जे चोरबा सभ सेन्ह काटि क्रमशः घरमे प्रवेश क रहल अछि। तत्क्षण किछु नहि फुरलनि त फोंफ कटैत पत्नीकेँ पाँजरमे बिठुआ काटि ललथिन। ओ लोहछैत उठि आ ऊठिक बैस रहलीह – एखन धरि अहाँकेँ आदति नहि गेल अछि। आब बयस धयले अछि ई सभ करबाक? गोनू झा मुस्काइत रहलाह। पंडिताइन बड़बड़ाइत आँखि मिडैत रहलीह तथा पाँजरकेँ सोहराबैत रहलीह।
वातावरणकेँ ठंढाइत देखि गोनू पत्नीकेँ कहलथिन – एकटा बात मोन पडिआयल छल तेँ कांच निन्न्मे उठा देलाहूँ।
गोनू झा के पत्नी कहलखिन – एहन कोन बात रहै जे एना क चौंका देलाहूँ। पंडिताइनकेँ बिठुआक विसविसी कम नहि भेल छलनि, बजैत रहलीह – इह, लगैए जेना मांसु नोचा गेल होअय।
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गोनू झा कहलखिन – अरे, बड़ पुरान बात मोन पड़ी आयल अछि। बाबू जखन मर लगलाह त बजाक एकटा बात कहने रहथि।
पंडिताइन पुछलखिन – “से की?”
गोनू झा कहलखिन – अरे, पछुआड़ मे जे भांगक बाड़ीक चकला अछि ने।
पंडिताइन कहलखिन – हँ-हँ।
गोनू झा आगू कहलखिन – ओ कहने रहथि जे बेर-विपत्ति पड़य त हमर गाड़ल धन – बीत कोड़ी-कोड़ी काज चलायब।
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पंडिताइन कहलखिन – त बाबू अपन जीवनक सभ कमायल सम्पत्ति बाड़ीमे गाड़ीक ध गेल छथि?
गोनू झा पंडिताइनकेँ चुप करबैत कहलखिन – नहूँये बाजू, एखन समय बड़ ख़राब चलि रहल छैक। चोर-छिपाड़ कोंटा – आँगन धैने रहित अछि। सुनि लेलक त सभ गुड़ गोबर भ जायत। गोनू झा ई सभ गप्प करैत – करैत फोंफ काटय लगलाह। मुदा पंडिताइनकेँ उदवेग लागि गेलनि। लगलीह गोनूकेँ उछन्नर करय। मुदा गोनूक निन्न कियक खुजतनि। ओ त चोट्टे निसभेर भ गेलाह। जखन पसरनक बेर भेलै़क त गोनू झाक निन्न खुजलनि। ओ चोट्टे भांगक चकला दिस विदा भ गेलाह।
चकलापर आबि देखैत छथि जे चोरबा सभ एक सरमे पुश्त – दर पुश्त सं परती पड़ल भांगक बाड़ीकेँ तमने चलल जा रहल अछि। गोनू झा कने – काल ठाड़ रहलाह आ चोरबा सभक भाव-भंगिमाकेँ निहारैत रहलाह।
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फेर खखसैत चोरबा सभकेँ सम्बोधित करैत बजलाह – ठीकसं तमै जाइ जाह। हम पनपियाइक बंदोबस्त कयने अबैत छियह। एक बेर सभ चोरबाक मशीन बनल हाथसं कोदारि छुटि गलैक। ओ सभ लंक ल क पड़ायल। गोनू झा तामल खेतकेँ निहारैत डाँड़सं तमाकूक डिबिया बहार कयलनि आ बैसिक चुनब लगलाह।
गोनू झा के किस्से: गोनू झाक बाड़ी
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